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आसुरी एवम् शिव के द्वारा कि गई श्री कृष्ण स्तुति

 आसुरी व शिव बोले -

हे कृष्ण ! महायोगी कृष्ण ! जगदीश्वर ! पुंडरीकाक्ष! गोविंद ! गरुड़ध्वज ! आपको नमस्कार है। जनार्दन! जगन्नाथ! वासुदेव!

पद्मनाभ! त्रिविक्रम ! दामोदर! आपको नमस्कार है।

देव! आप साक्षात परिपूर्ण तम भगवान हैं। इन दिनों भूतल का भारी भार हरने वा सत पुरुषों का कल्याण करने हेतु सभी लोकों को शून्य करके यहां  नंद भवन में प्रकट हुए हो ।

वास्तव में तो आप साक्षात भगवान ही हो। अंश के अंश , कला,आवेश ,पूर्ण - समस्त अवतार समूहों से युक्त हो । आप परि पूर्णतम परमेश्वर संपूर्ण विश्व की रक्षा करते हो। तथा वृंदावन में रास मंडल को भी अलंकृत करते हो। गोलोक नाथ राधा बल्लभ ! गोकुलपते,गोकुलेश्वर आप गोपियों से अपना यश सुनने वाले हो।निकुंज लताओं के विकास हेतु वसंत ऋतु हो।


श्री रास मंडल के पालक , ब्रज मंडल के अधिश्वर एवम् ब्रह्मांड भूमि के संरक्षक हो।आपकी सदा जय हो।

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
यह स्थिति आपने किस पुराण या उपनिषद से ली है