Featured post

जानिए ब्रह्मा ,विष्णु एवम् महेश के माता एवम् पिता कौन हैं ?

भगवान सदाशिव एवम् श्री देवी के चरणों में मेरा प्रणाम

शेरावाली माता के पति कौन हैं ? 


ब्रह्मा ,विष्णु एवम् महेश के पिता कौन हैं ?
शिवलोक के देवता कौन हैं ? शेरावाली माता अपनी मांग में किसके नाम का सिंदूर लगाती हैं ?

 आदि प्रश्न इंटरनेट पर ज्यादा वायरल हो रहे हैं।
अत: इसका उत्तर ये रहा।
शेरवाली माता के स्वामी भगवान सदाशिव हैं ,इस बात को समझने हेतु इस लेख को पढ़ें।

परब्रह्म परमात्मा महेश्वर की जो आद्य सनातनी शक्ति हैं,वे उमा नाम से विख्यात हैं।वे ही त्रिलोक को उत्पन्न करने वाली पराशक्ति हैं।श्री उमा देवी का एक अन्य लोक भी है,जो सर्वलोक अर्थात मणि द्वीप नाम से विख्यात है।
दक्ष प्रजापति की कन्या सती  तथा हिमालय की पुत्री पार्वती - यह दो शिवा देवी के अवतार हैं।देवी उमा निराकार एवम् निर्विकार होकर भी देवों का दुख दूर करने हेतु साकार रूप धारण करती हैं।उनका शरीर धारण करना, उनकी इच्छा का वैभव कहा गया है।वे लीला से इसलिए प्रकट होती हैं ताकि भक्त जन उनके गुणों का गान कर उत्तम गति प्राप्त कर सकें।
अन्य अवतार इस प्रकार हैं। 

मधु कैटभ के युद्ध में श्री हरि की सहायक महाकाली ,महिषासुर का वध करने वाली महालक्ष्मी ,जो समस्त देवो के सम्मिलित तेज से उत्पन्न हुई।
एवम् गौरी के शरीर से उत्पन्न देवी कौषिकी ,जिसने शुंभ एवम्  निशुंभ  से देवताओं को मुक्ति दिलाई।
इसके अलावा दुर्गा रूप से उस दुर्गम असुर का वध किया,जिसने चारों वेदों को ब्रह्मा से वरदान में  मांग लिया था।
 तथा
भ्रामरी रूप से अरुण नामक दैत्य का वध करने वाली महामाया।


शिव पुराण के अनुसार महाप्रलय में ग्रह, उपग्रह , सूर्य, चंद्र ,तारागण,जल, अग्नि, वायु, शब्द, स्पर्श, रूप, रस तथा गंध आदि कुछ भी नहीं था। उस समय केबल एक सद ब्रह्मा ही व्यापक था।
उसी ब्रह्म ने सृष्टि काल आने पर   एक से अनेक होने का संकल्प किया ,फलस्वरूप स्वयं भी ईश्वर सदाशिव के रूप में प्रकट हुए,उन सदा शिव से एक अष्ट भुजा वाली देवी प्रकट हुईं,जो उनसे कभी अलग होने वाली न थी।
यह देवी  एवम् शिव तत्व दृष्टि से  एक ही हैं।
इसी देवी एवम् शिव ने स्वयं के लिए शिव लोक का निर्माण किया ,वाद में दोनों ने विष्णु की उत्पत्ति की ,उन्होंने शिव आज्ञा से तप किया ,इसके परिणाम स्वरूप उनसे कई जल धाराएं निकली जिससे सारा सूना आकाश जल से व्याप्त हो गया।
श्री हरि से सभी तत्व उत्पन्न हुए ,उन्हें ग्रहण कर 
 श्री हरि ने उस जल में शयन किया ,उनके शयन करने पर श्री हरि के नाभि कमल से शिव पुत्र ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए।
बाद में ब्रह्मा जी एवम् श्री हरि के बीच प्रभुत्व को लेकर विवाद हो गया जिसे दूर करने हेतु शिव ज्योतिर्लिंग रूप से प्रकट हुए,उन दोनों ने युद्ध रोक उसके ओर छोर का पता लगाने का प्रयास किया  ,उन्हें सफलता न मिली तब एक ऋषि का आना हुआ ,उससे परिचय प्राप्त कर श्री हरि एवम् ब्रह्मा जी ने उनका स्तवन किया फलस्वरूप शब्द ब्रह्म रूप से तथा बाद ने साक्षात रूप से दर्शन हुए। शिव एवम् शक्ति ने उन्हें ज्ञान दिया तत्पश्चात
वह आंनद वन को चले गए।
इसके बाद ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची।
सृष्टि रचने कि प्रक्रिया ने रूद्र उनके मस्तिष्क से प्रकट हुए तथा फिर बाद में कैलाश पर्वत पर रहने लगे।
यहां स्पष्टत: शिव एवम् शक्ति ब्रह्मा ,विष्णु व महेश से श्रेष्ठ हैं एवम् सभी देवता उनके है अंश हैं।

(पुराण - शिव पुराण,लिंग पुराण  आदि)


देवी शिवा ने चंड ,मुंड ,रक्तबीज आदि से कहा था कि - परब्रह्म परमात्मा महेश्वर जो सर्वत्र व्यापक  हैं तथा सदाशिव कहलाते हैं
उनकी मैं सूक्ष्म प्रकृति हूं ,उनके तत्व को वेद भी नहीं जानते ,तो विष्णु आदि देवता तो जान ही कैसे सकते हैं।।
(शिव पुराण ,उमा संहिता)

अब तो आप समझ गए होंगे कि शेरावाली माता दुर्गा के पति भगवान सदाशिव हैं जो शिवलोक के मालिक हैं।


यदि लेख अच्छा लगे तो लाइक तथा कमेंट्स अवश्य करें।
जय श्री हरि।


टिप्पणियाँ