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सनातन धर्म अर्थात वैदिक धर्म में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पवित्र ग्रंथ चारों वेद (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद) हैं।
वेदों का सार श्रीमद्भागवत गीता है।
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सम्पूर्ण गीता ही गायन करने योग्य है कारण कि यह स्वयं पुरुषोत्तम श्री कृष्ण की वाणी है।
कुरुक्षेत्र भूमि पर कौरवों और पांडवों के मध्य युद्ध आरंभ होने वाला था। अर्जुन ने कौरवों से युद्ध करने से मना कर दिया था तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता तत्व का उपदेश किया।
गीता में कुल १८ अध्याय तथा ७०० श्लोक हैं
यह महाभारत के भीष्म पर्व में वर्णित है।
आइए हम समझते हैं कि श्री मद्भागवत गीता का पाठ कैसे करना चाहिए ?
यदि नियमित रूप से करते हैं भगवद्गीता का पाठ, तो इन नियमों को जानना है जरूरी तभी मिलेगा पूर्ण फल
वैसे तो भगवद्गीता का पाठ किसी भी समय कभी भी किया जा सकता है, परंतु इसका पूर्णफल प्राप्त करने के लिए इसे सही प्रकार से पढ़ा जाना आवयश्यक होता है। जैसे पूजा-पाठ और जाप के लिए सुबह का समय सर्वोत्तम रहता है उसी प्रकार से गीता को भी सुबह के समय पढ़ना चाहिए।
गीता बहुत ही पवित्र ग्रंथ है। इसे कभी भी गंदे हाथों से न छुएं। सुबह उठकर स्नानदि करने के पश्चात गीता का पाठ करें।
गीता का पाठ करने से पहले चाय, कॉफी, पानी या अन्य किसी भी चीज का सेवन न करें तो ही बेहतर रहेगा।
पाठ आरंभ करने के पहले भगवान गणेश और श्री कृष्ण जी का ध्यान करें।
गीता पढ़ने से पहले उस विशेष अध्याय का गीता महात्म्य अवश्य पढ़ें।
गीता पढ़ते समय पूर्ण ध्यान लगाएं। पाठ करते समय बीच में किसी से बातचीत न करें।
गीता का पाठ करने के लिए एक ऊनी आसन लें। उसी आसन पर प्रतिदिन पाठ करें।
यदि आप गीता का पाठ करते हैं तो स्वयं ही उसके रख-रखाव और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
प्रतिदिन एक निश्चित समय और निश्चित स्थान पर ही गीता का पाठ करें। कम से कम जो अध्याय शुरू किया है उसे समाप्त करके ही उठें।
गीता के प्रत्येक श्लोक को पढ़ने के पश्चात सही प्रकार से उसके सार को भी समझें।
गीता के पाठ को वरन् किताब तक सीमित न रखें उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करें।
गीता पढ़ने से पहले और बाद में गीता को माथे से लगाकर प्रणाम करें।
भगवद्गीता का पाठ करने के पश्चात गीता की आरती करें।
गीता का पाठ करने का नियम बनाए रखें।
आशा करता हूं कि श्री गीता का पाठ कैसे करें ?
इस प्रश्न का उत्तर समझ में आया होगा।
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